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असम में एक साथ 500 नेता TMC में शामिल, बढ़ी कांग्रेस की टेंशन !

ममता बनर्जी ने ASSAM में अपने एक दांव से बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी. गुवाहाटी में TMC ने एक साथ 500 नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया.
असम में एक साथ 500 नेता TMC में शामिल, बढ़ी कांग्रेस की टेंशन !
लोकसभा चुनावों से पहले बने विपक्षी गठबंधन INDIA की नींव अब हिलने लगी। अभी ज़्यादा वक़्त भी नहीं हुआ कि धीरे धीरे इस गठबंधन के दलों की अपनी अपनी महत्वकांक्षा जागने लगी। लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन ने कई दलों को जोड़ा, दूरियां मिटाकर सभी दल साथ आए। इस मज़बूती का असर लोकसभा के नतीजों पर भी दिखा। लेकिन विधानसभा चुनाव आते आते विपक्षी दल, दलदल में फंसने लगे और गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए। दरअसल, अभी तक गठबंधन में ये सवाल बना हुआ है कि इसकी अगुवाई कौन करेगा। कांग्रेस से नाराज़गी के बीच INDIA की कमान किसी मज़बूत हाथ में देने की बात चल रही है। इनमें से एक नाम ममता बनर्जी का भी है। क्योंकि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल से निकलकर अब धीरे धीरे आस-पड़ोस के राज्यों में पांव ज़माने की तैयारी में जुट गई। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है असम।जहां एक झटके में 500 नेताओं ने TMC का दामन थाम लिया।

ममता बनर्जी ने गठबंधन की कमान अपने हाथ में लेने से कभी खुलकर इंकार नहीं किया। सीट बंटवारे की बात हो या रणनीति की ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की नीति बिल्कुल स्पष्ट रहती है। दीदी के भंवर से तो भारतीय जनता पार्टी भी नहीं निकल पाती। तभी तो अब ममता की नज़र बीजेपी शासित असम पर है। TMC ने यहां अपनी पैठ ज़माने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, असम की सियासत में एक असाधारण घटना हुई। जब गुवाहाटी में एक साथ 500 नेताओं ने TMC का दामन थाम लिया। एक साथ 500 नेताओं का एक पार्टी में जाना कोई छोटी बात नहीं। इसमें क्षेत्रीय दलों के साथ साथ कांग्रेस और BJP के  कई नेता शामिल थे। ऐसे में इनके लिए चिंता शुरू हो गई है। केंद्र में जहां TMC इंडिया गठबंधन के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की बात करती है वहीं असम में उसका प्लान कांग्रेस का खेल बिगाड़ने का है। 

पिछले चुनावों की बात करें तो असम में BJP ने 126 सीटों में से 60 सीटें बीजेपी के पास हैं बहुमत के लिए 64 सीटें होनी चाहिए। चुनाव से पहले यहां कई क्षेत्रीय दलों ने बीजेपी का साथ दिया था। जबकि कांग्रेस महज़ 29 सीटों पर सिमट गई। ऐसे में क्षेत्रीय दलों को TMC अपने पाले में करने की कोशिश में है और कांग्रेस की जीत की रही सही कसर भी TMC मिटाने की हसरत में जुट गई।

 असम में क्षेत्रीय पार्टियां ज़रूरी क्यों ? 


असम में जो 500 नेता TMC में आए हैं उनमें कांग्रेस, असम गण परिषद, असम जातीय परिषद, CPI और बीजेपी के नेता शामिल हैं। TMC सांसद सुष्मिता देव ने बड़े पैमाने पर नेताओं के TMC में आने पर कहा कि इन नेताओं को उनकी पार्टियों ने नज़रअंदाज़ किया। ये ही वजह रही की उन्होंने TMC का रुख़ किया। TMC ज़मीनी कार्यकर्ताओं की पार्टी है और हम असम में एक मज़बूत टीम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सुष्मिता देव ने असम में क्षेत्रीय दलों की भागीदारी पर ज़ोर देते हुए कहा, असम के लोगों को राष्ट्रीय पार्टियों की बजाय क्षेत्रीय पार्टियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। बीजेपी से सीधी लड़ाई में कांग्रेस जीतती है लेकिन जब लड़ाई क्षेत्रीय दलों जैसे- TMC, DMK, समाजवादी पार्टी इनसे है तो बीजेपी हार जाती है. ऐसे में पार्टी का ये दांव असम में मज़बूत विकल्प बन सकता है।

अभी तक बंगाल में प्रभावशाली रही TMC अब अपनी जड़ें असम में भी फैलाने की कोशिश कर रही है। ये बात कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी के चिंता का सबब बन सकती है क्योंकि राजनीति के मैदान में ममता बनर्जी कोई कच्ची खिलाड़ी तो हैं नहीं। जिन 500 नेताओं ने TMC की सदस्यता ली है वो समुदाय और जातीय समीकरण के लिहाज़ से भी असम में पार्टी को मज़बूती दिलाएंगे क्योंकि इनमें कम से कम 17-18 समुदायों के नेता शामिल हैं। यानि TMC ने बीजेपी-कांग्रेस को घेरने की चौतरफ़ा प्लानिंग कर ली है। 

इधर INDIA गठबंधन में ममता बनर्जी की नज़र कप्तान की कुर्सी पर है तो वहीं, असम में CM हिमंता के ख़िलाफ़ अपने खिलाड़ी तैयार कर रही हैं। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों लिहाज़ से ममता बनर्जी अपनी भागीदारी निभाने के लिए पूरी मज़बूती के साथ जुटी हुई हैं। भले ही असम में चुनाव अभी दूर हैं लेकिन TMC पिच अभी से तैयार करने लगी है और पार्टी का पहला ही मूव काफ़ी बोल्ड है जो आगामी असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को क्लीन बोल्ड और BJP को कमजोर कर सकती है।
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