कभी गुलामी का दंश झेल कैसा बना कुवैत प्रगति का ‘बादशाह’?
कुवैत, जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था, आज प्रगति और समृद्धि का प्रतीक बन चुका है। यह छोटा सा खाड़ी देश न केवल अपने तेल भंडार के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आधुनिकता और सांस्कृतिक मूल्यों के बेहतरीन संगम के लिए भी जाना जाता है।

21 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत के ऐतिहासिक दौरे पर जाएंगे। यह दौरा ऐतिहासिक इसलिए है क्योंकि 43 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला दौरा होगा। इससे पहले 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कुवैत गई थीं। यह दौरा न केवल भारत-कुवैत संबंधों को नई ऊंचाई देगा, बल्कि कुवैत की अद्भुत प्रगति और इतिहास पर भी चर्चा का केंद्र बनेगा।
कुवैत, जो आज खाड़ी देशों में एक संपन्न और समृद्ध देश के रूप में जाना जाता है, कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था। 1899 में कुवैत ने सुरक्षा के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद कुवैत पर ब्रिटेन का प्रत्यक्ष नियंत्रण हो गया। हालांकि, इस सुरक्षा की कीमत कुवैत को अपनी स्वतंत्रता खोकर चुकानी पड़ी। कुवैत के आर्थिक विकास की कहानी 1938 में शुरू हुई जब वहां तेल का पहला बड़ा भंडार खोजा गया। ब्रिटिश नियंत्रण के बावजूद, कुवैत ने धीरे-धीरे अपनी तेल संपदा का इस्तेमाल करते हुए खुद को आर्थिक रूप से मजबूत करना शुरू किया। 1961 में कुवैत ने ब्रिटेन से पूर्ण स्वतंत्रता हासिल की। यह खाड़ी देशों में स्वतंत्रता प्राप्त करने वाला पहला देश बना।
ब्रिटेन को पछाड़ने का सफर
स्वतंत्रता के बाद, कुवैत ने अपने तेल संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन किया। इससे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी। आज, कुवैत दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है। 2024 में, कुवैत की प्रति व्यक्ति आय ब्रिटेन से कहीं अधिक है। यह खाड़ी देश ब्रिटेन को आर्थिक और सामाजिक विकास के कई क्षेत्रों में पीछे छोड़ चुका है।
भारत और कुवैत के मजबूत संबंध
कुवैत और भारत के बीच हमेशा से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। भारत के लाखों लोग कुवैत में काम करते हैं और वहां के विकास में योगदान दे रहे हैं। पीएम मोदी का यह दौरा न केवल इन संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि ऊर्जा, व्यापार, और सांस्कृतिक सहयोग के नए अवसर भी खोलेगा।
कुवैत आज आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम है। उसकी सड़कों पर गगनचुंबी इमारतें, शानदार मॉल, और अत्याधुनिक सुविधाएं इसकी तरक्की की कहानी कहती हैं। इसके साथ ही, कुवैत अपने इस्लामिक सांस्कृतिक मूल्यों को संजोए हुए है। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे के दौरान ऊर्जा क्षेत्र में समझौतों की उम्मीद है। इसके साथ ही, भारतीय प्रवासियों के हितों पर भी चर्चा होगी। यह दौरा न केवल दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देगा, बल्कि कुवैत के ऐतिहासिक बदलावों को एक बार फिर से चर्चा में लाएगा।
कुवैत की कहानी एक प्रेरणा है, जो यह दिखाती है कि कैसे एक छोटा देश अपनी सीमित प्राकृतिक संपदा और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर खुद को विश्व मानचित्र पर एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित कर सकता है। पीएम मोदी का यह ऐतिहासिक दौरा दोनों देशों के लिए न केवल आर्थिक और सांस्कृतिक साझेदारी का प्रतीक होगा, बल्कि कुवैत की प्रेरणादायक यात्रा को सम्मान देने का एक जरिया भी बनेगा।